Sunday, September 12, 2010

पानी तो अनमोल है


पानी तो अनमोल है
उसको बचा के रखिये
बर्बाद मत कीजिये इसे
जीने का सलीका सीखिए
पानी को तरसते हैं
धरती पे काफी लोग यहाँ
पानी ही तो दौलत है
पानी सा धन भला कहां
पानी की है मात्रा सीमित
पीने का पानी और सीमित
तो पानी को बचाइए
इसी में है समृधी निहित            
शेविंग या कार की धुलाई
या जब करते हो स्नान
पानी की जरूर बचत करें
पानी से है धरती महान
जल ही तो जीवन है
पानी है गुनों की खान
पानी ही तो सब कुछ है
पानी है धरती की शान
पर्यावरण को बचाया गया
तो वो दिन जल्दी ही आएगा
जब धरती पे हर इंसान
बसपानी पानीचिल्लाएगा
रुपये पैसे धन दौलत
कुछ भी काम आएगा
यदि इंसान इसी तरह
धरती को नोच के खाएगा
आने वाली पुश्तों का
कुछ तो हम करें ख़्याल
पानी के बगैर भविष्य
भला कैसे होगा खुशहाल
बच्चे, बूढे और जवान
पानी बचाएँ बने महान
अब तो जाग जाओ इंसान
पानी में बसते हैं प्राण
                                              ................................             संकलित

Saturday, September 11, 2010

मानव अधिकार सुरक्षा संघ (रजि0)

Manav Adhikar Surksha Sangh(MASS)
उद्देश्य एवं कार्यक्रम
अगर आपके मन में व्यक्तिगत, क्षेत्रीय व राष्ट्रीय विकास की भावना है तथा शोषण व भ्रष्टाचार के उन्मूलन का ईरादा है तो आईये, मिलकर कदम बढ़ाएं। MASS Family में आपका स्वागत है।
सम्पर्क हेतु :-
सेल न० : o 94 165 57 786    9896878962
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संस्था के उद्देश्य
1. राष्ट्रीय एकता, आत्म एवं सामुदायिक विकास और आपसी सद्भाव जैसे मूल्यों का विकास करना तथा उनके प्रचार-प्रसार में सहयोग देना।
2. राष्ट्रीय विकास और समाज सेवा के कार्यक्रमों के संचालन में सहयोग करना। जैसे -महिला शिक्षा, सड़क निर्माण, निरक्षरता उन्मूलन, महिला समानता आदि।
3. खेती-बाड़ी एवं उससे जुड़े धंधों से अधिक आय पाने के तरीकों का प्रचार करना तथा आधुनिक कृषि तकनीकों से जनता को परीचित करवाना।
4. खाली समय के सदुपयोग के लिए बच्चों व नौजवानों हेतु सृजनात्मक कार्यक्रम संचालित करना।
(a) खेल-कूद और सांस्कृतिक कार्यक्रम।
(b) साहसिक प्रवृति के विकास के कार्य।
(c) आर्थिक व सामाजिक कौशल विकास के कार्यक्रम।
5. स्वास्थ्य जागरूकता अभियानों क आयोजन करना एवं असहाय तथा ग़रीबों को स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवाएँ नि:शुल्क या अल्पशुल्क के आधार पर प्रदान करवाने हेतु कदम उठाना. मोबाईल स्वास्थ्य वैनें तथा अस्पताल आदि स्थापित करना।
6. विभिन्न प्रचार माध्यमों द्वारा यौन रोगों, एड्स तथा हेपेटाईटिस जैसे रोगों से बचाव के लिए जागरूकता मुहीम चलाना. परिवार कल्याण एवं टीकाकरण जैसे कार्यक्रमों के सञ्चालन में सहयोग प्रदान करना।
7. सामाजिक कुरीतियों जैसे दहेज़ प्रथा, स्त्री-पुरुष असमानता, नशा, बालविवाह तथा बालश्रम आदि के उन्मूलन हेतु कार्यक्रमों का आयोजन।
8. साम्प्रदायिक सद्भावना को बढ़ावा देना।
9. युवाओं को उनके स्वयं के विकास हेतु संचालित आर्थिक कार्यक्रमों के तहत स्वरोजगार योजनाओं से लाभान्वित व आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करना।
10. विभिन्न क्षेत्रों में विशेष योगदान देने वाली प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करना।
11. सूचना, शिक्षा एवं मनोरंजन हेतु विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करना।
12. अनाथालय, वृद्धाश्रम और शिक्षण संस्थाएं स्थापित करना।
13. जनहित हेतु किये वैज्ञानिक आविष्कारों तथा आविष्कारकों को प्रोत्साहन देना।
14. विभिन्न पुस्कालयों, वाचनालयों व साहित्यिक संस्थाओं की स्थापना करना।
15. लोगों को सिर्फ उनके अधिकारों के ही नहीं, बल्कि कर्त्तव्यों के प्रति भी सचेत करने में सहयोग देना।
16. जनजागृति हेतु फोल्डर्स व पत्र-पत्रिकाओं आदि का प्रकाशन करना तथा वाल पेंटिंग, होर्डिंग व बैनरों आदि की मदद से विभिन्न जन जागृति अभियानों में सहयोग देना।
17. सार्वजनिक सम्पत्ति का रखरखाव आदि।
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कार्यक्रमों की सूची
1. व्यक्तिगत एवं सामूहिक आर्थिक परियोजनाएं :-
(अ) व्यक्तिगत : सब्जी उगाना, फल उगाना, फल संरक्षण, पशु पालन, डेरी, मधुमक्खी पालन, रेशम के कीड़े पलना, कपड़ा उद्योग, साबुन बनाना, दर्जीगिरी, बुटीक चलाना, विभिन्न आर्थिक योजनायें तैयार कर स्वरोजगार के रास्ते प्रशस्त करना, लघु उद्योग लगाना आदि।
(ब) सामूहिक : “मानव अधिकार सुरक्षा संघ” अपनी “मास सहकारी समिति” बना सकता है, जो की विशेषतौर पर बेरोजगार युवाओं के लिए रोज़गार देने में सहायक होगी, अनौपचारिक शिक्षा के कार्यक्रम, निर्माण कार्य, वृक्षारोपण, संघ को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सामूहिक रूप से ली गयीं परियोजनाएं, युवा मेले, बाल एवं वृद्ध मेले जहाँ मनोरंजन के साथ-साथ उनकी स्वास्थ्य जांच भी हो।
2. अनौपचारिक शिक्षा :
जनशिक्षा अभियान, प्रौढ़ शिक्षा, कोचिंग कक्षाएं, वाचनालय/पुस्तकालय, संगोष्ठी, सम्मलेन, बालवाड़ी सञ्चालन, युवा शिविर, कौशल विकास के शिविर, शैक्षिक भ्रमण, महिला जागृति, महिला समानता, महिलाओं, बच्चों, मजदूरों व अल्पसंख्यकों के क़ानूनी अधिकारों के प्रति जागृति. सूचना प्रोद्यौगिकी तथा कम्प्यूटर शिक्षा आदि।
3. खेलकूद एवं सांस्कृतिक कार्य :
(अ) खेलकूद : नियमित खेलकूद, विभिन्न प्रतियोगिताएं, कोचिंग कैम्प, बाल और युवा मेले, खेलकूद के सामान व मैदान का प्रबंध और रख-रखाव, पिकनिक आदि।
(ब) सांस्कृतिक कार्य : जनजागरण हेतु नाटक, लोकगीत, लोकनृत्य, वृत्तचित्र तथा फिल्म निर्माण, प्रशिक्षण कार्यशालाएं, सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं, सभी मुख्य धार्मिक व राष्ट्रीय पर्वों को “मानव अधिकार सुरक्षा संघ” के सभी सदस्य, पदाधिकारी और संघ द्वारा आमंत्रित मेहमानों द्वारा एक साथ मनाना. मानव अधिकार दिवस, विश्व स्वास्थ्य दिवस, पर्यावरण दिवस एवं एड्स दिवस आदि पर विशेष आयोजन करना।
4. विकास कार्यों में भागेदारी :
स्वच्छता एवं सफाई अभियान, बच्चों के विद्यालयों में प्रवेश हेतु सहयोग, सम्पर्क मार्ग निर्माण, प्रतिरक्षण अभियान, परिवार कल्याण, जनसँख्या शिक्षा, ऋण वसूली में सहयोग, स्थानीय योजनाओं के प्रति जानकारी एवं चेतना उत्पन्न करना।
5. सामाजिक कुरीतियों का उन्मूलन :
जुआ, नशीली दवाओं के सेवन, धुम्रपान, दहेज़ प्रथा एवं शोषण आदि का उन्मूलन करने हेतु भरसक प्रयास करना।
6. पर्यावरण संरक्षण :
वृक्षारोपण, पेड़ों की सुरक्षा, धुआं रहित चूल्हे व सोलर कुकर का प्रसार, वातावरण की सफाई, उन्नत शौचालय, स्वच्छ पेयजल व्यवस्था, लघु उद्योगों को प्रोत्साहन और ख़राब परिवहनों पर नियंत्रण आदि।
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राष्ट्रीय संगठन

“मानव अधिकार सुरक्षा संघ” यानि “मास” एक राष्ट्रीय संगठन के रूप में मान्य है। प्रदेश, ज़िला व उपमंडलीय स्तरों पर इसकी इकाईयों का गठन किया जा रहा है।
नियमों तथा विनियमों की विस्तृत जानकारी “मास” से सम्बन्धित लोगों से या इसकी बैठकों में आकर प्राप्त की जा सकती है।

Saturday, August 28, 2010

बेटियां

बुलातें हैं बेटों को ,
                          आ जाती हैं बेटियां
पढ़ाते  हैं बेटों को ,
                           पढ़ जाती हैं बेटियां |
कल्पना चावला बन कर

                           अन्तरिक्ष में जाती हैं बेटियां ,
   देश का गौरव                  
                          बढाती हैं बेटियां |
असंभव को संभव  
                     करके दिखाती हैं बेटियां ,
एवरेस्ट की चोटी पर
                               चढ़ जाती हैं बेटियां |
कोई ऐसा काम नहीं ,
                              जो नहीं कर सकती हैं बेटियां ,
सीमा पर जाकर दुश्मन से,
                                         लड़ सकती है बेटियां |

Saturday, August 21, 2010



मानव अधिकार सुरक्षा संघ  का पौधारोपण अभियान



सफीदों, (हरियाणा) : सामाजिक संस्था मानव अधिकार सुरक्षा संघ (मास) द्वारा सफीदों की शिव गऊशाला में पौधारोपण अभियान की शुरूआत की गई। इस अभियान की शुरूआत संस्था के संस्थापक अध्यक्ष अकबर खान ने की। इस पौधारोपण के दौरान आंवला, जामुन, बकैन, बहेड़ा व नीम के सैकड़ों औष्धीय पौधे लगाए गए। संस्था के अध्यक्ष अकबर खान ने अपने संबोधन में कहा कि मानव का पेड़ों से अटूट संबंध है। पेड़ों के बिना जीवन की कल्पना व्यर्थ है। वृक्ष है तो हम हैं। पूरा विश्र्व ग्लोबल वार्मिंग व प्रदूष्ण की समस्या से जूझ रहा है। अधिक से अधिक पेड़ लगाकर ही हम समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। यदि पेड़ों की अंधाधुंध कटाई इसी तरह से होती रही तो आने वाली पीढ़ियों को इसके गंभीर दुष्परिणाम भुगतने होंगे। पेड़ों की कमी से वातावरण में आसीजन की कमी होती जा रही है। परिणामस्वरूप मनुष्य को सांस लेना भी दूभर हो गया है। पेड़पौधे ही जीवन का आधार हैं। उन्होंने कहा कि महज पौधा लगाने भर से ही हमारी जिमेदारी समाप्त नहीं हो जाती, बल्कि जिस तरह से हम अपने बच्चों को पालपोस कर बड़ा करते हैं, उसी तरह से हमें पौधों को भी अच्छी तरह से पालनापोसना होगा। पौधारोपण के लिए एक जनजागृति अभियान की आवश्यकता है। स्वच्छ वातावरण के लिए पेड़ पौधे लगाना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि हर व्यति को अपने जीवन में एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए। इस मौके पर बोलते हुए पौधारोपण कार्यक्रम के परियोजना निदेशक विनोद वर्मा ने बताया कि संस्था ने व्यापक पौधारोपण अभियान चलाने का निर्णय लिया है। इस अभियान की कड़ी में क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों व सार्वजनिक स्थानों पर जोरदार ढंग से पौधारोपण किया जाएगा। इस मौके पर गऊशाला के प्रधान शिव कुमार गोयल व संस्था के सहसचिव सुरेश कुमार ने भी अपने विचार रखे।

Thursday, August 19, 2010


मानव अधिकार सुरक्षा संघ (मास) ने मनाया पौधारोपण महोत्सव



सफीदों (हरियाणा) : पेड़ों की कमी के चलते स्थिति बेहद विस्फोटक हो चुकी है। हालात इस कदर बेकाबू हो चुके हैं हमें सांस लेना भी दूभर हो चुका है। यह बात तहसीलदार ज्ञानप्रकाश बिश्र्रोई ने रामपुरा गांव स्थित बी.एस. मैमोरियल स्कूल में सामाजिक संस्था मानव अधिकार सुरक्षा संघ (मास) द्वारा मनाए गए पौधारोपण महोत्सव में बोलते हुए कही। उन्होंने कहा कि पर्यावरण को लेकर केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्र्व चिंतित है। पर्यावरण के प्रति लोगों को सचेत व जागरूक करने के लिए सरकारों की तरफ से बड़ेबड़े कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। उन कार्यक्रमों को सही रूप से अमलीजामा तभी पहनाया जा सकता है जब लोगों में पर्यावरण को बचाए रखने के प्रति दृढ़ इच्छाशक्ति पैदा होगी। लोगों के सहयोग के बिना इस कार्य को पूरा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के दूष्ति होने का मुख्य कारण पेड़ों की अंधाधुंध कटाई है। लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पेड़ों पर कुल्हाड़ा चला रहे हैं। मानव पेड़ों पर कुल्हाड़ा चलाने की बजाए खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ा चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि वृक्ष है तो हम हैं।वृक्षों के बिना मानव जीवन की कल्पना करना बेमानी है। यदि पेड़ों की अंधाधुंध कटाई इसी तरह से होती रही तो आने वाली पीढ़ियों को इसके गंभीर दुष्परिणाम भुगतने होंगे। पेड़ों की कमी से वातावरण में आसीजन की कमी होती जा रही है तथा दूष्ति गैसों की अधिकता होती जा रही है। जोकि मानव जीवन के लिए बेहद घातक बात है। उन्होंने जोर देकर कहा कि व्यक्ति अपने जीवन में एक पौधा अवश्य लगाए तथा उसका भरपूर पालनपोषण करें। इस मौके पर बोलते हुए संस्था के अध्यक्ष अकबर खान ने कहा कि हर व्यक्ति का परम कर्तव्य बनता है कि वह पर्यावरण शुद्धि के प्रति सचेत हो ताकि उनकों प्रकृति के भयकंर परिणामों को ना भुगतने पड़ें। उन्होंने बताया कि संस्था ने ख्भ् जुलाई से सफीदों उपमंडल में पौधारोपण कार्यक्रम शुरू किया था। इस दौरान संस्था ने लोगों के सहयोग से सार्वजनिक स्थानों व स्कूलों में पौधारोपण किया है। इस मौके पर स्कूल के चेयरमैन अरूण खर्ब, संस्था के परियोजना निदेशक विनोद वर्मा व सहसचिव सुरेश कुमार ने भी अपने विचार रखें।